।। श्रीहरिः ।।

                                                                                                            




           आजकी शुभ तिथि–
पौष कृष्ण षष्ठी वि.सं.२०७७, सोमवा
शरणागति




परमात्माकी शक्तिसे ही सारा संसार चल रहा है, इसलिये सब वस्तुओंका मूल परमात्मतत्त्व है, उसके शरण हो जाओ । यही एकमात्र रक्षाका सुगम उपाय है । कबीर साहबने कहा है‒

चलती चक्‍की देखकर  दिया  कबीरा  रोय ।

दो पाटन बीच आयके साबत बचा न कोय ॥

क्‍की चलती है तो उसके दो पाटोंके बीचमें जो भी दाना आ जायगा, वह पिस जायगा; पर ‘कोई एक हरिजन ऊबरे कील माकड़ी पास’ कीलके पास, माकड़ीके नीचे रहनेवाले दाने बच जाते हैं । ऐसे ही जो मनुष्य संसारके आधार परमात्माका आश्रय ले लेते हैं, वे संसार-चक्रसे बच जाते हैं । अतः आप परमात्माके शरण हो जाओ ।

‘हे नाथ ! मैं आपके शरण हूँ ! आप कहाँ हो ? कैसे हो ?‒यह आप जानो; मैं तो बस, आपके ही शरण हूँ ।’ भगवान्‌के स्वरूपको जाननेकी इतनी आवश्यकता नहीं है, जितनी आवश्यकता उनका आश्रय लेनेकी है । परमात्माके स्वरूपके विषयमें बहुत मतभेद हैं । कोई सगुण, कोई निर्गुण, कोई निराकार, कोई साकार मानते है, ऐसे ही कोई द्वैत, अद्वैत, विशिष्ठाद्वैत, द्वैताद्वित, शुद्धाद्वैत आदि मानते हैं‒इस प्रकार अनेक प्रकारकी मान्यताएँ हैं । हमें इस मतभेदके जालमें कभी नहीं फँसना है । यह एक प्रकारका जाल ही है । बस, हम तो परमात्माके शरण हैं, वह कैसा ही हो और कहीं हो; हमारा आश्रय तो केवल वही है । हमारे लिये इतना ही पर्याप्त है‒

यं शैवाः समुपासते शिव इति ब्रह्मेति वेदान्तिनो

बौद्धा बुद्ध इति प्रमाणपटवः  कर्तेति  नैयायिकाः ।

अर्हन्नित्यथ  जैनशासनरताः   कर्मेति  मीमांसकाः

सोऽयं नो विदधातु वाञ्छितफलं त्रैलोक्यनाथो हरिः ॥

(हनुमन्नाटक)

मनुष्य अपनी अटकलसे परमात्माको जानता है, पर परमात्मा उस जानकारीसे भी विलक्षण है । यदि आप जैसा जानते हैं, परमात्माका वैसा ही स्वरूप है तो फिर जानना क्या बाकी रहा ? पूरे जानकार हो तो साधन क्या शेष रहा ? पूरे-से-पूरा जानकार भी परमात्माके विषयमें कुछ नहीं जानता । अनन्तको सीमित बुद्धिवाला क्या जानेगा ? उस सीमित बुद्धिवालेका जानना केवल उसकी बुद्धिका परिचयमात्र ही है; क्योंकि परमात्माके विषयमें पूरी तरह कोई नहीं जान सकता । आज दिनतक जैसा समझा वैसा ही मानकर उस परमात्माकी शरण लेना ही उत्तम है, परम आवश्यक है, पर जानना उतना आवश्यक नहीं है ।