।। श्रीहरिः ।।

                                                                                                                                                                                                   




           आजकी शुभ तिथि–
चैत्र कृष्ण पंचमी, वि.सं.२०७७, शुक्रवा

वास्तविक बड़प्पन


आने-जानेवाली चीजोंके द्वारा अपनेको बड़ा-छोटा मानना ही बन्धन है । बन्धन कोई जानवर थोड़े ही होता है ! यह बन्धन छूटा और मुक्त हुए । दूसरोंके द्वारा हम अपनेको बड़ा-छोटा स्वीकार न करें तो हम मुक्त हो गये कि नहीं ? स्वाधीन हो गये कि नहीं ? बताओ ।

श्रोता‒ठीक बात है महाराजजी !

स्वामीजी‒ठीक बात है तो फिर हम पराधीन क्यों रहें ? आप कृपा करो, अभीसे यह मान लो कि हम पदके द्वारा अपनेको बड़ा नहीं मानेंगे, धनके द्वारा अपनेको बड़ा नहीं मानेंगे । लोग हमारा आदर करें तो अपनेको बड़ा नहीं मानेंगे । लोग हमारा निरादर कर दें तो अपनेको छोटा नहीं मानेंगे । हमें परवाह नहीं कि लोग हमें अच्छा मानें । यह बात आप मान सकते हो कि नहीं ?

श्रोता‒हाँ, मान सकते हैं ।

स्वामीजी‒तो फिर देरी क्यों करते हो ? किसकी प्रतीक्षा करते हो आप ? किसी परिस्थितिकी प्रतीक्षा करते हो, किसी बलकी प्रतीक्षा करते हो, किसी समयकी प्रतीक्षा करते हो, किसी सहारेकी प्रतीक्षा करते हो, किसी उपदेशकी प्रतीक्षा करते हो; किसकी प्रतीक्षा करते हो, बताओ ? मेरी तो प्रार्थना है कि आप अभी-अभी मान लो कि अब हम इन आने-जानेवाली तुच्छ चीजोंके द्वारा अपनेकी बड़ा-छोटा नहीं मानेंगे । भगवान्‌ने कहा है‒

आगमापायिनोऽनित्यास्तांस्तितिक्षस्व    भारत ॥

(गीता २/१४)

अर्थात् जो आने-जानेवाले हैं, उनको सह लो सहनेका अर्थ है उनके आने-जानेका असर न पड़े । उनका असर अपनेपर न पड़े तो इतनी शान्ति, इतना आनन्द होगा, जिसका कोई पारावार नहीं है । आप करके देखो । सच्ची बात है, मैं धोखा नहीं देता हूँ । ऐसी मस्ती आयेगी, जैसे कोई कीचड़मेंसे बाहर निकल आये ।

नारायण !     नारायण !!     नारायण !!!

‒ ‘अच्छे बनो’ पुस्तकसे


नाशवान्‌में अपनापन अशान्ति और बन्धन देनेवाला है ।

❇❇❇   ❇❇❇

असत्‌को असत्‌ जाननेपर भी जबतक असत्‌का आकर्षण नहीं मिट जाता, तबतक सत्‌की प्राप्ति नहीं होती (जैसे, सिनेमाको असत्य जाननेपर भी उसका आकर्षण रहता है) ।

❇❇❇   ❇❇❇

जैसे भगवान्‌का आश्रय कल्याण करनेवाला है, ऐसे ही रुपये आदि उत्पत्ति-विनाशशील वस्तुओंका आश्रय पतन करनेवाला है ।

❇❇❇   ❇❇❇

(‘अमृत-बिन्दु’ पुस्तकसे)