भगवान् राजी कैसे हों ? भगवान्से भी कुछ नहीं लेना है,
प्रत्युत देना है । जैसे बच्चा माँसे दूर चला जाय तो माँको बहुत याद आती है ।
माताओंकी ऐसी बातें मैंने सुनी हैं । दीपावली, अक्षय तृतीया आदि त्यौहार आते हैं
तो माताएँ कहती हैं कि क्या बनायें ? लड़का तो घरपर है नहीं, अच्छी चीज बनाकर किसको
खिलायें ? लड़का घरपर होता तो माताएँ बढ़िया-बढ़िया चीजें बनाती हैं और लड़केको
खिलाकर खुश होती हैं । ऐसे ही भगवान्के लड़के हमलोग चले गये विदेशमें ! अब भगवान्
कहते हैं कि क्या करूँ ? क्या दूँ ? लड़का तो घरपर ही नहीं है ! वह तो धन-सम्पत्तिकी
तरफ लगा हुआ है, खेल-कूदमें लगा हुआ है ! सनमुख होई जीव मोहि जबहीं । जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं ॥ (मानस, सुन्दर॰४४/२) परन्तु आज सम्मुख हो रहे हैं रुपयों-पैसोंके,
वस्तुओंके, कुटुम्बके, आरामके, मान-आदरके, स्वाद-शौकीनीके ! जो संसारसे आशा रखता है और भगवान्का भजन भी करता है, वह
भजन नहीं करनेवालेकी अपेक्षा तो अच्छा है । किसी तरहसे भगवान्में मन लग जाय तो
बड़ा अच्छा है‒‘तस्मात् केनाप्युपायेन मनः कृष्णे
निवेशयेत्’ (श्रीमद्भागवत ७/१/३१) । परन्तु यदि आप नाम-जपका माहात्म्य
तत्काल देखना चाहते हैं तो वह भी देखनेमें आयेगा, जब आप सच्चे हृदयसे भगवान्में
लग जायँगे । जिन लोगोंने भजन किया है, उन लोगोंमें विलक्षणता आयी है । हमने ऐसे कई
देखे हैं कि नाम-जपसे पहले उनकी क्या अवस्था थी और नाम-जपमें लगनेके बाद उनकी क्या
अवस्था हो गयी ! परन्तु वे लगनसे जपते थे । जब मैं पढ़ता था, उन दिनोंकी बात है । रात्रिके दस बजेतक पाठ
वगैरह होता था । एक दिन रात्रिके दस बजेके बाद मैं बाहर गया । जंगलमें एक सरोवर
था, उसके किनारेपर एक साधु बैठे थे, जो हमारे परिचित थे । वे राम-राम कह रहे थे और
रो रहे थे । बात क्या है ? भगवद्भजनके बिना बहुत-से दिन
खाली चले गये, अब क्या करूँ ? वह गया हुआ समय सार्थक कैसे बने ? ऐसे विचारसे उनके
आँसू टपक रहे थे । जो समय हाथसे चला गया, वह पीछे नहीं आयेगा । आज साक्षात्
भगवान् मिल जायँ तो भी गये हुए समयकी पूर्ति नहीं होगी ! अगर समय खाली न जाता तो
भगवान् पहले ही मिल जाते, इतने दिन हम भगवान्के वियोगमें न रहते ! एक भी स्वास खाली खोय न खलक बिच, कीचड़ कलंक अंक धोय
ले तो धोय ले । उर अँधियारो पाप पुंज सु
भरोयो देख, ज्ञान की चिरागां चित्त
जोय ले तो जोय ले । मिनखा जनम फिर ऐसो
न मिलेगो मूढ़, परम प्रभू से प्यारो होय ले
तो होय ले
। यह छिनभंगु देह तामे जन्म सुधारबो
है, बिजली के झपाके मोती पोय ले तो पोय ले ॥
जब बिजलीका प्रकाश होता है, उस समय मोती पिरो ले, नहीं तो
फिर अँधेरा हो जायगा । ऐसे ही इस मनुष्य-शरीरके
रहते-रहते भजन कर ले, भगवान्को प्राप्त कर ले । यह मौका फिर नहीं मिलेगा ! |