Listen आप केवल भगवान्की ही इच्छा करो, और
कोई इच्छा मत करो । न
जीनेकी इच्छा करो, न मरनेकी इच्छा करो । न मानकी इच्छा करो,
न बड़ाईकी इच्छा करो । न भोगोंकी इच्छा करो,
न रुपयोंकी इच्छा करो । केवल एक भगवान्की इच्छा करो तो वे मिल
जायँगे । कम-से-कम मेरी बातकी परीक्षा तो करके देखो ! भगवान् आपको मिलते नहीं; क्योंकि
आप उनको चाहते नहीं । आपके भीतर रुपयोंकी चाहना हो तो भगवान् बीचमें कूदकर क्यों
पड़ेंगे ?
संसारमें सबसे रद्दी वस्तु रुपया है । रुपयोंसे रद्दी चीज
दूसरी कोई है ही नहीं । ऐसी रद्दी चीजमें आपका मन अटका हुआ हो तो भगवान्
कैसे मिलेंगे ? रुपये देकर आप भोजन, वस्त्र, सवारी आदि खरीद सकते हो, पर रुपया खुद न तो खानेके काम आता है,
न पहननेके काम आता है, न सवारीके काम आता है । तात्पर्य
है कि रुपये काम नहीं आते, प्रत्युत उनका खर्च काम आता है । परमात्मा इच्छामात्रसे मिलते
हैं । उनको रोकनेकी ताकत किसीमें भी नहीं है । छोटा बालक रोता है तो माँ आ ही जाती है । बालक घरका कुछ भी
काम नहीं करता, उलटे काम करनेमें आपको बाधा लगाता है, पर जब वह रोने लगता है, तब सब घरवाले उसके पक्षमें हो जाते हैं । सास-ससुर,
देवर-जेठ सभी कहते हैं कि बहू ! बालक रो रहा है,
उसको उठा ले । माँको सब काम छोड़कर बालकको उठाना पड़ता है ।
बालकका एकमात्र बल रोना ही है‒‘बालानां रोदनं बलम्’ । रोनेमें बड़ी ताकत है । आप सच्चे हृदयसे व्याकुल होकर भगवान्के लिये रोने लग जाओ तो
जितने भगवान्के भक्त हुए हैं, सन्त-महात्मा हुए हैं, वे सब-के-सब आपके पक्षमें हो जायँगे और
भगवान्को उलाहना देंगे कि आप मिलते क्यों नहीं ? वे ही भगवान्के सास-ससुर आदि हैं ! वास्तवमें भगवान् मिले हुए ही हैं । आपकी
सांसारिक इच्छा ही उनको रोक रही है । आप रुपयोंकी इच्छा करते हो, भोगोंकी इच्छा करते हो तो भगवान् उनको जबर्दस्ती नहीं छुड़ाते । अगर आप सांसारिक इच्छाएँ छोड़कर केवल भगवान्को ही चाहो तो
आपको कौन रोक सकता है ? आपको बाधा देनेकी किसीकी ताकत नहीं है । अगर आप भगवान्के लिये व्याकुल हो जाओ तो भगवान् भी
व्याकुल हो जायँगे । आप संसारके लिये व्याकुल हो जाओ तो संसार व्याकुल नहीं होगा ।
आप संसारके लिये रोओ तो संसार राजी नहीं होगा । पर भगवान्के लिये रोओ तो वे भी रो
पड़ेंगे । बालक सच्चा रोता है या झूठा, यह माँ ही समझती है । बालकके आँसू तो आये नहीं,
केवल ऊँ-ऊँ करता है तो माँ समझ लेती है कि यह ठगाई करता है
! अगर बालक सचाईसे रो पड़े, उसके साँस ऊँचे चढ़ जायँ तो माँ सब काम भूल जायगी और चट उसको
उठा लेगी । अगर माँ उस बालकके पास न जाय तो उस माँको मर जाना चाहिये ! उसके जीनेका
क्या लाभ ! ऐसे ही सच्चे हृदयसे चाहनेवालेको भगवान् न मिलें तो भगवान्को मर जाना चाहिये ! एक साधु थे । उनके पास एक आदमी आया और उसने पूछा कि भगवान्
जल्दी कैसे मिलें ? साधुने कहा कि भगवान् उत्कट चाहना होनेसे मिलेंगे । उसने पूछा
कि उत्कट चाहना कैसी होती है ? साधुने कहा कि भगवान्के बिना रहा न जाय । वह आदमी ठीक समझा
नहीं और बार-बार पूछता रहा कि उत्कट चाहना कैसी होती है ?
एक दिन साधुने उस आदमीसे कहा कि आज तुम मेरे साथ नदीमें स्नान
करने चलो । दोनों नदीमें गये और स्नान करने लगे । उस आदमीने जैसे ही नदीमें डुबकी
लगायी,
साधुने उसका गला पकड़कर नीचे दबा दिया । वह आदमी थोड़ी देर नदीके
भीतर छटपटाया, फिर साधुने उसको छोड़ दिया । पानीसे ऊपर आनेपर वह बोला कि तुम साधु होकर ऐसा काम
करते हो ! मैं तो आज मर जाता ! साधुने पूछा कि बता, तेरेको क्या याद आया ? माँ याद आयी, बाप याद आया, धन याद आया या स्त्री-पुत्र याद आये ?
वह बोला कि महाराज, मेरे तो प्राण निकले जा रहे थे,
याद किसकी आती ? साधु बोले कि तुम पूछते थे कि उत्कट अभिलाषा कैसी होती है,
उसीका नमूना मैंने तेरेको बताया है । जब एक भगवान्के सिवाय कोई भी याद नहीं आयेगा और उनकी प्राप्तिके
बिना रह नहीं सकोगे, तब भगवान् मिल जायँगे । भगवान्की ताकत नहीं है कि मिले बिना रह जायँ ।
भगवान् कर्मोंसे नहीं मिलते । कर्मोंसे
मिलनेवाली चीज नाशवान् होती है । कर्मोंसे धन, मान, आदर, सत्कार मिलता है । परमात्मा अविनाशी हैं । वे कर्मोंका फल
नहीं हैं,
प्रत्युत आपकी चाहनाका फल है । परन्तु
आपको परमात्माके मिलनेकी परवाह ही नहीं है,
फिर वे कैसे मिलेंगे ? भगवान् मानो कहते हैं कि मेरे बिना तेरा काम चलता है तो मेरा भी तेरे बिना
काम चलता है । मेरे बिना तेरा काम अटकता है तो मेरा काम भी तेरे बिना अटकता है ।
तू मेरे बिना नहीं रह सकता तो मैं भी तेरे बिना नहीं रह सकता । |