।। श्रीहरिः ।।


       आजकी शुभ तिथि–
भाद्रपद शुक्ल सप्तमीवि.सं.२०७७, मंगलवा
भगवन्नाम


“ होहि राम को नाम जपु ”

जो चीज अपनी नहीं है, अपने पास नहीं है उसका उपार्जन करनेमें अभिमान करता है और अपनेमें समझता है कि मैंने बड़ा भारी काम कर लिया । निर्धन था और धनवान् बन गया । अकेला था, बहुत परिवारवाला हो गया । मूर्ख था, पढ़कर पण्डित हो गया । प्रसिद्धि नहीं थी, अब वाह-वाह हो गयी । अब इसमें ध्यान देना । जो नहीं है, उसकी प्राप्तिमें मनुष्य बहादुरी मानता है । वास्तवमें जो नहीं है, उसकी प्राप्तिमें बहादुरी नहीं है; क्योंकि वह चीज पहले नहीं थी, फिर नहीं रहेगी और अन्तमें नहीं हो जायगी । बहादुरी तो उसीमें हैं, जो पहले भी हमारे थे और अभी भी हमारे हैं, उन भगवान्‌की प्राप्ति कर ली जाय । वे प्राप्त हो जायँ तो फिर मिटेंगे नहीं कभी । बिछुडेंगे भी नहीं । वे सदैव हमारे हैं, हमारे साथ हैं, हमारे थे और रहेंगे । हम सम्मुख हो जायँगे तो निहाल हो जायँगे । विमुख रहेंगे तो दुःख पाते रहेंगे । पर हमारेको लाभ नहीं होगा । इस वास्ते प्रभुको अपना बना लें । उनके साथ अपना सम्बन्ध जोड़ लें । यह बहुत दामी और श्रेष्ठ बात है ।

सत्संग सुननेका भी नतीजा यह होना चाहिये कि हम भगवान्‌के सम्मुख हो जायँ, उनको अपना मान लें । संसारमें मोह बहुत दिन किया । जन्म-जन्मान्तरोंमें किया । परन्तु हाथ कुछ नहीं लगा; रहे रोते-के-रोते ! भगवान्‌से अगर प्रेम करते तो निहाल हो जाते । बिलकुल सच्‍ची बात है ।

भगवान्‌ सदैव साथमें रहते हैं । प्राण जानेपर भी उस समय भगवान्‌ साथमें रहते हैं । प्राण रहनेपर भी साथमें रहते हैं । सम्पत्तिमें भी साथमें रहते हैं । विपत्तिमें भी साथमें रहते हैं । हर हालतमें वे साथ रहते हैं और साथ हैं । मनुष्य केवल उस तरफ ध्यान नहीं देता । इधर दृष्टि नहीं डालता कि प्रभु मेरे हैं । इससे वंचित हो रहा है, दुःखी हो रहा है । ऐसे प्रभुसे अपनापन करो । अपनापन करके उनके नामका जप करो ।


गोस्वामीजी तुलसीदासजी महाराज कहते हैं‒‘बिगरी जनम अनेक की सुधरै अबहीं आजु ।’ अनेक जन्मोंकी बिगड़ी हुई बात आज सुधर जाय । आज सुधर जाय । आज भी अभी-अभी इसी क्षण सुधर जाय, ‘होहि राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाज ।’ जैसे भगवान्‌को अपना माना, ऐसे अपनेको भगवान्‌का मान लें । ‘पतिव्रता रहे पतिके पासा, ज्यूँ साहिब के ढिग रहे दासा ।’ जैसे पतिव्रता होती है, ‘पतिव्रत एक धणी’ उसीकी हो जाती है वह । माँ-बापकी, भाई-भतीजोंकी नहीं रही । वह एककी हो जाती है । वह जैसे पतिव्रता होती है, ऐसे ही तुम भगवान्‌के होकर रहो । तुम तो भगवान्‌के पहले थे, अब हो और अगाड़ी रहोगे । गोस्वामी महाराज कहते हैं‒‘होहि राम को नाम जपु’ । भगवान्‌के हो करके भगवान्‌का नाम जपो । ‘तुलसी तजि कुसमाज’, कुसमाज क्या है ? भगवान्‌के सिवाय सब कुसमाज है, कुसंग है । उसमें मोह करोगे तो फँस जाओगे, फायदा नहीं होगा । इस वास्ते एक भगवान्‌ मेरे हैं ।