मृत्यकालकी सब सामग्री तैयार है, कफन भी तैयार है, नया नहीं बनाना पड़ेगा । उठानेवाले आदमी भी तैयार है, नये नहीं जन्मेंगे । जलानेकी जगह भी तैयार है, नयी नहीं लेनी पड़ेगी । जलानेके लिये लकड़ी भी तैयार है, नये वृक्ष नहीं लगाने पड़ेंगे । केवल श्वास बन्द होनेकी देर है । श्वास बन्द होते ही यह सब सामग्री जुट जायगी । फिर निश्चिन्त कैसे बैठे हो ? ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ चेत करो ! यह संसार सदा रहनेके लिये नहीं है
। यहाँ केवल मरने-ही-मरनेवाले रहते हैं । फिर पैर फैलाये कैसे बैठे हो ? ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ विचार करो, क्या ये दिन सदा ऐसे ही रहेंगे ? ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ मकान यहाँ बना रहे हो, सजावट यहाँ कर रहे हो,
संग्रह यहाँ कर रहे हो, पर खुद मौतकी तरफ भागे चले जा रहे हो ! जहाँ जाना है,
पहले उसको ठीक करो ! ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ निश्चित समयपर चलनेवाली गाड़ीके लिये भी जब पहलेसे
सावधानी रहती है, फिर जिस मौतरूपी गाड़ीका कोई समय निश्चित नहीं, उसके लिये तो हरदम
सावधानी रहनी चाहिये । ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ ‘करेंगे’‒यह निश्चित नहीं है, पर ‘मरेंगे’‒यह
निश्चित है । ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ आप भगवान्को नहीं देखते, पर भगवान् आपको निरन्तर
देख रहे हैं । ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ आनेवाला जानेवाला होता है‒यह नियम है । ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ कालरूपी अग्निमें सब कुछ निरन्तर जल रहा है,
फिर किसका भरोसा करें ? किसकी इच्छा करें ? ❇❇❇
❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ विचार करो कि अपना कौन है ? अगर अभी मौत आ
जाय तो कोई हमारी सहायता कर सकता है क्या ? ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ जन्मदिन आनेपर बड़ा आनन्द मनाते हैं कि हम
इतने वर्षके हो गये ! वास्तवमें इतने वर्षके हो नहीं गये, प्रत्युत इतने वर्ष मर
गये अर्थात् हमारी उम्रमेंसे इतने वर्ष कम हो गये और मौत नजदीक आ गयी ! ❇❇❇ ❇❇❇ ❇❇❇ बालक जन्मता है तो बड़ा होगा कि नहीं, पढ़ेगा
कि नहीं, उसका विवाह होगा कि नहीं, उसके बाल-बच्चे होंगे कि नहीं, उसके पास धन होगा कि नहीं
आदि सब बातोंमें सन्देह है, पर वह मरेगा कि
नहीं‒इसमें कोई सन्देह नहीं है !
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