।। श्रीहरिः ।।

                                                                  




           आजकी शुभ तिथि–
कार्तिक शुक्ल नवमी, वि.सं.२०७७, सोमवा
भगवान्‌से अपनापन


सज्जनो ! हम भगवान्‌के हो जाते हैं तो भगवान्‌की सृष्टिके साथ उत्तम-से-उत्तम बर्ताव करना हमारे लिये आवश्यक हो जाता है । यह सब सृष्टि प्रभुकी है, ये सभी हमारे मालिकके हैंऐसा भाव रखोगे तो उनके साथ हमारा बर्ताव बड़ा अच्छा होगा । त्यागका, उनके हितका, सेवाका बर्ताव होगा । इससे व्यवहार तो शुद्ध होगा ही, हमारा परमार्थ भी सिद्ध हो जायगा, हम संसारसे मुक्त हो जायँगे । अतः हम भगवान्‌के होकर भगवान्‌का काम करें । ये सब प्राणी भगवान्‌के हैं, इन सबकी सेवा करें । अपना यह भाव बना लें

सर्वे  भवन्तु  सुखिनः    सर्वे  सन्तु  निरामयाः ।

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत् ॥

सब-के-सब सुखी हो जायँ, सब-के-सब निरोग हो जायँ, सबके जीवनमें मंगल-ही-मंगल हो, कभी किसीको दुःख न होऐसा भाव हमारेमें हो जायगा तो दुनियामात्र सुखी होगी कि नहीं, इसका पता नहीं; परन्तु हम सुखी हो जायँगे, इसमें सन्देह नहीं ।

आप थोड़ी कृपा करें, इस बातको ध्यानपूर्वक समझें । भक्तिमार्गमें तो केवल भाव बदलना है कि मैं भगवान्‌का हूँ और भगवान् मेरे है; संसार मेरा नहीं है और मैं संसारका नहीं हूँ । गीतामें आया हैअनन्याश्चिन्तयन्तो माम् (९/२२), ‘अनन्यचेताः सततं यो मां स्मरति नित्यशः (८/१४) । अनन्य होकर भगवान्‌का चिन्तन करनेका तात्पर्य यह है कि मैं केवल भगवान्‌का हूँ और केवल भगवान् मेरे हैं । ऐसा करनेवालेके लिये भगवान् कहते हैंतस्याहं सुलभः अर्थात् जो अनन्यचेता होकर मेरा स्मरण करता है, उसको मैं सुलभतासे मिल जाता हूँ ।

सज्जनो ! जो व्यापार करना चाहता, उसको यदि कोई बढ़िया बात बता दे तो वह उसे छोड़ेगा नहीं; क्योंकि उसमें लाभ बहुत होता है । ऐसे ही जो अपनी आध्यात्मिक उन्नति चाहता है, उसके लिये बड़ी श्रेष्ठ और सीधी-सादी बात यह है कि वह मैं भगवान्‌का हूँ, भगवान् मेरे हैं, यह मान ले । यह मान्यता अगर दृढ़ हो जाय तो आज ही पूर्ण हो सकती है । अगर इस मान्यताको मिटाओगे नहीं तो समय पाकर स्वतः ही पूर्णता हो जायगी । अतः इतनी कृपा करें, महेरबानी करें कि मैं भगवान्‌का हूँ और भगवान् मेरे हैं’—यह बात पक्‍की मान लें । सच्‍ची बात है, आपको धोखा नहीं देता हूँ । पहले आप भगवान्‌के थे, अन्तमें भगवान्‌के ही रहेंगे और अब भी भगवान्‌के ही हैं । आप मानें या न मानें, पर आप भगवान्‌के ही हैं इसमें संदेह नहीं