।। श्रीहरिः ।।



  आजकी शुभ तिथि–
      ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी, वि.सं.-२०७९, शनिवार

गीतामें भगवन्नाम


प्रश्न‒नामजपसे भाग्य (प्रारब्ध) पलट सकता है ?

उत्तर‒हाँ, भगवन्नामके जपसे, कीर्तनसे प्रारब्ध बदल जाता है, नया प्रारब्ध बन जाता है; जो वस्तु न मिलनेवाली हो वह मिल जाती है; जो असम्भव है, वह सम्भव हो जाता है‒ऐसा सन्तोंका, महापुरुषोंका अनुभव है । जिसने कर्मोंके फलका विधान किया है, उसको कोई पुकारे, उसका नाम ले तो नाम लेनेवालेका प्रारब्ध बदलनेमें आश्चर्य ही क्या है ? ये जो लोग भीख माँगते फिरते है, जिनको पेटभर खानेको भी नहीं मिलता, वे अगर सच्चे हृदयमें नामजपमें लग जायँ तो उनके पास रोटियोंका, कपड़ोंका ढेर लग जायगा; उनको किसी चीजकी कमी नहीं रहेगी । परन्तु नामजपको प्रारब्ध बदलनेमें, पापोंको काटनेमें नहीं लगाना चाहिये । जैसे अमूल्य रत्नके बदलेमें कोयला खरीदना बुद्धिमानी नहीं है, ऐसे ही अमूल्य भगवन्नामको तुच्छ कामनापूर्तिमें लगाना बुद्धिमानी नहीं है ।

प्रश्न‒जब केवल नामजपसे ही सब पाप नष्ट हो जाते हैं, तो फिर शास्त्रोंमें पापोंको दूर करनेके लिये तरह-तरहके प्रायश्चित्त क्यों बताये गये हैं ?

उत्तर‒नामजपसे ज्ञात, अज्ञात आदि सभी पापोंका प्रायश्चित्त हो जाता है, सभी पाप नष्ट हो जाते हैं; परन्तु नामपर श्रद्धा-विश्वास न होनेसे शास्त्रोमें तरह-तरहके प्रायश्चित्त बताये गये हैं । अगर नामपर श्रद्धा-विश्वास हो जाय तो दूसरे प्रायश्चित्त करनेकी जरूरत नहीं है । नामजप करनेवाले भक्तसे अगर कोई पाप भी हो जाय, कोई गलती हो जाय तो उसको दूर करनेके लिये दूसरा प्रायश्चित्त करनेकी जरूरत नहीं है । वह नामजपको ही तत्परतासे करता रहे तो सब ठीक हो जायगा ।

प्रश्न‒अगर कोई सकामभावसे नामजप करे तो क्या वह नामजप फल देकर नष्ट हो जायगा ?

उत्तर‒यद्यपि सांसारिक तुच्छ कामनाओंकी पूर्तिके लिये नामको खर्च करना बुद्धिमानी नहीं है, तथापि अगर सकामभावसे भी नामजप किया जाय तो भी नामका माहात्म्य नष्ट नहीं होता । नामजप करनेवालेको पारमार्थिक लाभ होगा ही; क्योंकि नामका भगवान्‌के साथ साक्षात् सम्बन्ध है । हाँ, नामको सांसारिक कामनापूर्तिमें लगाकर उसने नामका जो तिरस्कार किया है, उससे उसको पारमार्थिक लाभ कम होगा । अगर वह तत्परतासे नाममें लगा रहेगा, नामके परायण रहेगा तो नामकी कृपासे उसका सकामभाव मिट जायगा । जैसे, ध्रुवजीने सकामभावसे राज्यकी इच्छासे ही नामजप किया था । परन्तु जब उनको भगवान्‌के दर्शन हुए, तब राज्य एवं पद मिलनेपर भी वे प्रसन्न नहीं हुए, प्रत्युत उनको अपने सकामभावका दुःख हुआ अर्थात् उनका सकामभाव मिट गया ।

जो सकामभावसे नामजप किया करते हैं, उनको भी नाम-महाराजकी कृपासे अन्तसमयमें नाम याद आ सकता है और उनका कल्याण हो सकता है !